BHRAMAR KA DARD AUR DARPAN

Sunday, March 27, 2011

“पगली ” –भ्रमर –हिंदी पोएम (कविता) .


"पगली ” –भ्रमर  –हिंदी  पोएम (कविता) .
पगली  इतना  
गट्ठर  बांधे ,
गली   गली  
मुस्काते  चलती ,
आँखों   से  वो  
करे  इशारे ,
नैन  मटक्का ,
फटी  हुई   धोती
से  अपने  ,
गली  बुहारे ,
दरवाजे  जा  -
खड़ी  गाड़ियों ,
के  शीशे  में
खुद  को  देखे ,
चमकाए  फिर
कमर  नचाये ,
बल  खाते -
लहरा  के  चलती ,

पगली  इतना  
गट्ठर  बांधे ,
गली  गली  
मुस्काते  चलती ,

उसका  घर  था ,
बेटे  –बेटी ,
बातें  करती  
आसमान  से ,
उनसे  लडती  
खड़ा  सामने ,
कोई  भी -
ना  देखा  करती ,
श्मशान  में  
जाकर  सोती ,
पल  दो  पल
जी  भर  के  रोती ,
फिर  अपना  वो  
गट्ठर  बांधे ,
चली  शहर  में -
आया  करती ,

पगली  इतना  
गट्ठर  बांधे ,
गली  गली  
मुस्काते  चलती

गिला    शिकवा ,
किस्से  भी - वो
कूड़ा   करकट -
कुत्तों  के  संग
भाग  दौड़कर ,
रोटी अपना -
खाया  करती  

पगली  इतना  
गट्ठर  बांधे ,
गली  गली  
मुस्काते  चलती

सुरेंद्रशुक्लाभ्रमर
१३ .२ .११  जल  (पी बी ) ४ .४५  पूर्वाह्न

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दे ऐसा आशीष मुझे माँ आँखों का तारा बन जाऊं
अभिनन्दन आप का ,हिंदी बनाने का उपकरण ऊपर लगा हुआ है -आप की प्रतिक्रियाएं हमें ऊर्जा देती हैं -शुक्ल भ्रमर ५