BHRAMAR KA DARD AUR DARPAN

Saturday, August 20, 2011

कलयुग है या भ्रष्टतंत्र है तानाशाही-अत्याचार???


कलयुग है या भ्रष्टतंत्र है
तानाशाही-अत्याचार???
चार जमा कर स्विस में बैठे
भूखे मरें हजार .................


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चक्की में जो पिसे लोग हैं
अब चक्की पर चढ़ बैठे !
लिए हथौड़ा  छेनी संग में
कितनी मूर्ति ---गढ़ बैठे !!



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जला -"दिया" है -पूंछ सुलगती
कभी धमाका हो सकता !
अंधियारे में डींग हांकती
सोयी बैठी है सरकार !!
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इतने दिन में ना लिख पाओ
"रामायण" कोई बात नहीं
राम से मिल के चरण पकड़ के
राम कथा के नीति नियम -
"कुछ "- लगे लगा लो बात बने !!
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रावण सा तुम अहं भरो ना
समय चक्र चलता है -"काल"
मन में मैल भरी जो धो लो
आँखों से पट्टी तो खोलो
गांधारी- धृत राष्ट्र- बनो ना
कौरव -तेरे ना टिक पायें
"पांच" पांडव- हैं दमदार !!
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पत्थर ढोती वानर सेना
पुल भी कभी बना सकती
ले मशाल जो बढ़ निकली है
लंका- आग लगा सकती !!
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पास विभीषण हैं तेरे भी
कुछ मंदोदरी भी हैं बैठी
उनकी भी कुछ बात सुनो हे !
दंभ भरो ना हे पाखंडी !!
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(सभी फोटो गूगल /नेट/याहू से साभार )
शुक्ल भ्रमर ५
१०.२० मध्याह्न जल पी बी
२०.०८.२०११


दे ऐसा आशीष मुझे माँ आँखों का तारा बन जाऊं

6 comments:

  1. भाई मज़ा आ गया भ्रमर साहब ... कामना है आंदोलन सफल होगा ...

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  2. प्रिय दिगंबर नासवा जी आप की शुभ कामनाएं रंग लायें उम्मीद का दामन थामे आओ गरजते हुए चढ़े चलें लडाई लम्बी है तो क्या हुआ ......
    आभार आप का
    भ्रमर ५

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  3. भ्रष्टाचार के गहन अंधकार में जो एक दिए की लौ जली है उसे बुझने नहीं देना है।

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  4. गगन शर्मा जी बहुत सुन्दर आवाहन आप का ..उम्मीद है सब इसी तरह ..कूद पड़ेंगे ...अपना पूरा जोर आन्दोलन में लगायेंगे
    आप सब को श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर ढेर सारी हार्दिक शुभकामनाएं -आइये प्रार्थना करें की आन्दोलन सफल हो .....
    आभार आप का
    भ्रमर ५

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  5. रामलीला मैदान में रामायण?

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  6. प्रिय संदीप जी अभिवादन राम लीला मैदान में ही राम का आदर्श हो ही सकता है नहीं तो ये तो सब जगह अपवित्र कर डाले ...
    धन्यवाद प्रतिक्रिया के लिए
    भ्रमर ५

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दे ऐसा आशीष मुझे माँ आँखों का तारा बन जाऊं
अभिनन्दन आप का ,हिंदी बनाने का उपकरण ऊपर लगा हुआ है -आप की प्रतिक्रियाएं हमें ऊर्जा देती हैं -शुक्ल भ्रमर ५