BHRAMAR KA DARD AUR DARPAN

Wednesday, November 16, 2011

जब अधर छुए तो कांपा तन मन -भ्रमर की माधुरी





दे ऐसा आशीष मुझे माँ आँखों का तारा बन जाऊं 

2 comments:

  1. बहुत कुछ पठनीय है यहाँ आपके ब्लॉग पर-. लगता है इस अंजुमन में आना होगा बार बार.। मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है । धन्यवाद !

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  2. प्रेम सिंह -प्रेम सरोवर जी धन्यवाद आप का स्वागत है आते रहिये अपना स्नेह बरसाते रहिये ...--सुन्दर लगा सब पठनीय है सुनकर ...आभार
    भ्रमर ५

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दे ऐसा आशीष मुझे माँ आँखों का तारा बन जाऊं
अभिनन्दन आप का ,हिंदी बनाने का उपकरण ऊपर लगा हुआ है -आप की प्रतिक्रियाएं हमें ऊर्जा देती हैं -शुक्ल भ्रमर ५