BHRAMAR KA DARD AUR DARPAN

Wednesday, May 1, 2013

तस्वीरें तो स्वतः दिल चीर कर रख देती हैं



प्रिय मित्रों लिखना क्या ?, ये तस्वीरें तो स्वतः दिल चीर कर रख देती हैं क्या हम अपने को विकसित या विकासशील कह सकते हैं शायद नहीं एक तरफ काजू बादाम मेवे मलाई गर्दन पर हाथ दबोचे लूट ले जाना और एक तरफ आँतों का सिकुड़ा रहना क्या सपने देखेंगे ये बच्चे क्या भविष्य होगा सोच तो वहीं धराशायी हो जाती है कूड़े में टटोलते रहना चोरी की तरफ अग्रसर होना कुत्तों से भी छीन झपट भोजन पर ही आँखे टिकी होना मैले कुचैले गंदे घूमना भिक्षाटन में रत रहना न जाने क्या क्या जितना भोजन अनायास रोज फेंक दिया जाता है काश उसका कुछ हिस्सा प्यार से इनको समर्पित हो इनकी जरूरतों को समझा जाए और कुछ न कुछ ही सही मदद के रूप में हाथ बढे, शिक्षा मिले, रौशनी फैले, ये कैद से निकल कर सांस ले सकें, होटलों से, ईंट भट्टों से ,गैराज से, घर में कैद नौकर बन बदतर हालत में शोषण के शिकार से ,.जब पढ़ते है की फलां डॉ ने फलां अभियंता ने गाँव से बच्चे को ला के कैद में रखा शोषण किया माँ बाप से मिलने नहीं दिया कभी कभार  माँ बाप को कुछ भीख सा फेंक दिया तो आँखों में आग दहक जाती है लेकिन फिर आंसुओं से बुझ भी जाती है, हाथ मल के हम बैठ जाते हैं की ये इंडिया है, यहाँ कुछ नहीं हो सकता, लेबर डिपार्टमेंट कानून सब आँखों पर पट्टी बांधे घूमते हैं, देखते हैं बहुत दया आई इन बच्चों पर तो अपने प्यारे दुलारे बच्चों से एक कौड़ी हाथ में दे पुन्य कमा लेते हैं भला हो इस कानून का और इस तरह के रक्षकों का ….काश बुद्धिमान लोग सोचें जागें तो वो दिन दूर नहीं ये नयी पीढ़ी सपने साकार कर भारत को एक नयी दिशा दे ……सब शुभ हो प्रभु सब को सद्बुद्धि दें ….भ्रमर ५

download
INDIA-CHILD-LABOUR
images
6676936029_f302c94eaf_z


दे ऐसा आशीष मुझे माँ आँखों का तारा बन जाऊं

12 comments:

  1. सच में व्यथित करता है बाल मजदूरों का यह हाल ......

    ReplyDelete
  2. काश मजदूरों का जीवन खुशहाल हो जाए,,,

    RECENT POST: मधुशाला,

    ReplyDelete
  3. बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
    आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल शुक्रवार (03-05-2013) के "चमकती थी ये आँखें" (चर्चा मंच-1233) पर भी होगी!
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

    ReplyDelete
  4. आदरणीया डॉ मोनिका जी बाल मजदूरों के इस हाल पर लिखे लेख को आप का समर्थन मिला ख़ुशी हुयी सच में ये हाल देख मन व्यथित हो जाता है
    भ्रमर ५

    ReplyDelete
  5. प्रिय धीरेन्द्र भाई जी आभार ....ये काश अगर काम कर जाए बाल मजदूर इस दंश से मुक्त हो जाएँ तो आनंद और आये
    भ्रमर ५

    ReplyDelete
  6. आदरणीय शास्त्री जी इस लेख को आप ने चर्चा मंच के लिए चुना लिखना सार्थक रहा अपना स्नेह बनाये रखें शायद बच्चों को कुछ मुक्ति मिल सके लोग जागें ...
    भ्रमर ५

    ReplyDelete
  7. .......बिल्कुल सच कह दिया

    ReplyDelete
  8. संजय भाई जी इस लेख से कुछ सच उजागर हुआ काश बच्चों के हित में बने कानून पर लोग गौर करे श्रम विभाग कानून के रखवाले होश में आयें
    भ्रमर ५

    ReplyDelete
  9. alkargupta1 के द्वारा May 4, 2013
    शुक्ला जी , यह तस्वीरें ही देश के दुर्भाग्य की सच्ची तस्वीर हैं …
    फिर भी सत्ताधारकों के कान पर जूँ नहीं रेंगती……
    विचारणीय आलेख

    surendra shukla bhramar5 के द्वारा May 4, 2013
    आदरणीया अलका जी आप का हमारा सब का एक ही दर्द है कानून का यूं आँखों में पट्टी बाँध रखना लेकिन दवा कोई नहीं कानून बनते हैं पास होते हैं वोट मिलते हैं किताबें बंद बस ..भयावह तस्वीर है सब देखते हैं जाते हैं …
    आभार
    भ्रमर ५
    vinitashukla के द्वारा May 3, 2013
    बच्चे हमारे देश का भविष्य हैं. बचपन बीमार होगा तो युवावस्था का कुंठित होना स्वाभाविक ही है. सार्थक, विचारणीय पोस्ट पर साधुवाद.

    surendra shukla bhramar5 के द्वारा May 3, 2013
    आदरणीया विनीता जी सच कहा आप ने काश सब ऐसा ही बोलें..यही सोचें और सपने साकार हों …
    बच्चे हमारे देश का भविष्य हैं. बचपन बीमार होगा तो युवावस्था का कुंठित होना स्वाभाविक ही है
    आभार
    भ्रमर ५
    PRADEEP KUSHWAHA के द्वारा May 3, 2013
    बुलंद भारत की बुलंद तस्वीर
    आपके द्वारा चुनी
    आपके लिए
    सरकार
    आदरणीय भ्रमर जी
    सादर बधाई

    surendra shukla bhramar5 के द्वारा May 3, 2013
    जी कुशवाहा जी जबरदस्त व्यंग्य आप का हमारे लिए हमारे द्वारा चुनी गयी सरकार और हमारी ये दशा के जिम्मेदार पूर्णतया वही …..दया आती है सरकार के रवैये पर
    जय श्री राधे
    भ्रमर ५
    shashi bhushan के द्वारा May 3, 2013
    आदरणीय भ्रमर जी,
    सादर !
    आपने तो चन्द तस्वीरों की झांकी ही दिखाई हैं !
    सम्पूर्ण तस्वीर तो बहुत कुरूप और भयावह है !
    दिल्ली में बैठे आकाओं की आँख कब खुलेगी,
    पता नहीं ! या फिर उनकी आँखें ही फोडनी होगी !
    सादर !

    surendra shukla bhramar5 के द्वारा May 3, 2013
    शशि भाई आभार दिल्ली में बैठे आकाओं की नजरें नजरबन्द की जा चुकी हैं शायद, इतने लोगों के चिल्लाने पर भी बहरे कानों में आवाज नहीं जाती न जाने क्या होगा भविष्य किस तरफ बढ़ रहे हैं हम ..सम्पूर्ण तस्वीर तो बहुत कुरूप और भयावह है सच है बच्चों का इस कदर शोषण सहा नहीं जाता …
    भ्रमर ५
    jlsingh के द्वारा May 3, 2013
    अंधेर नगरी चौपट राजा, देवभूमि दर्शन को आजा!
    ये तसवीरें या असलियत का जायजा भी हम आप जैसे लोग ही लेते हैं. बाकी लोगों को तो इंडिया डेवलपिंग ही दिखाई देता है या फिर यह दिखलाई देता है कि अब गरीब भी अच्छा खाना खाने लगे हैं … भ्रमर जी की कविता भी बिखर कर रोने लगी ..ये देखिये, तस्वीरों में ही खोने लगी!

    surendra shukla bhramar5 के द्वारा May 3, 2013
    प्रिय जवाहर भाई लगता है हम लोग जमीन से जुड़े रहने के लिए ही पैदा हुए हैं धरातल दिखाई ही देता है हर समय कुछ दर्द दीखता है कोशिश होती है समझाने की लोगों की जगाने की …लेकिन काश आँखें खोले कविता तो रोएगी ही बोझ जो ढो रही है …
    भ्रमर ५

    ReplyDelete
  10. ऐसे लेख हमें सच्चाई से जोड़े रहते हैं ..सभी चित्र भावुक करने वाले हैं ..ब्लॉग से बाहर भी आप प्रयास करिए इस चिंतन के प्रचार प्रसार के लिए ..आपके प्रयास को कोटिशः धन्यवाद के साथ

    ReplyDelete
  11. बहुत सही लिखा है आपने
    जरुरत है जागृत होने कि ताकि ऐसे बच्चों की जिन्दगी को एक नयी दिशा मिल सके
    सादर!

    ReplyDelete
  12. ये बोझ ..उफ़ ...एक आह से निकलती हैं यह सब देख ...

    ReplyDelete

दे ऐसा आशीष मुझे माँ आँखों का तारा बन जाऊं
अभिनन्दन आप का ,हिंदी बनाने का उपकरण ऊपर लगा हुआ है -आप की प्रतिक्रियाएं हमें ऊर्जा देती हैं -शुक्ल भ्रमर ५