BHRAMAR KA DARD AUR DARPAN

Sunday, November 3, 2013

आओ हर घर की देहरी पर दीपक एक जलाएं

संकटनाशक   गणेश   स्तोत्र - प्रणम्य   शिरसा   देवं   गौरीपुत्र   विनायकम्

महालक्ष्मि   अष्टकं - नमस्तेऽस्तु   महामाये   श्रीपीठे   सुरपूजिते

श्रीसुक्तम् - ॐ   हिरण्यवर्णां   हरिणीं   सुवर्णरजतस्त्रजाम्

आओ हर घर की देहरी पर दीपक एक जलाएं
अंतर्मन में अपने सब के जो  प्रकाश भर जाए
हारे तम जैसे हारा है सदा सदा ये करें सुनिश्चित
 माँ लक्ष्मी को पूजें मन से वर पाएं निश्चित ही इच्छित   



सभी प्रिय मित्रों को सपरिवार इस दीपोत्सव  की ढेर सारी हार्दिक शुभ कामनाएं।  दिवाली का ये पावन पर्व सदा सदा हमारे दिलों से अंधियारा मिटाये ये समाज एक हो नेक हो समभाव से ओत प्रोत हो और उजाला हमारे मन के हर कोने में भर जाए । मंगल  कामनाएं
सुरेन्द्र कुमार शुक्ल भ्रमर ५

दे ऐसा आशीष मुझे माँ आँखों का तारा बन जाऊं

3 comments:

  1. बहुत सुंदर अभिव्यक्ति!

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  2. आदरणीया स्वप्निल जी रचना की सराहना हेतु आभार ..हम अवश्य आप के ब्लॉग का अवलोकन करेंगे ..
    भ्रमर ५

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  3. आदरणीया कविता जी रचना की अभिव्यक्ति आप को अच्छी लगी और आप ने सराहा आभार ..अच्छा लगा
    भ्रमर ५

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दे ऐसा आशीष मुझे माँ आँखों का तारा बन जाऊं
अभिनन्दन आप का ,हिंदी बनाने का उपकरण ऊपर लगा हुआ है -आप की प्रतिक्रियाएं हमें ऊर्जा देती हैं -शुक्ल भ्रमर ५